शारीरिक शिक्षा का अर्थ एवं परिभाषा
MEANING AND DEFINITION OF PHYSICAL EDUCATION
प्रस्तावना
मनुष्य जन्म से लेकर मृत्युपर्यन्त तक किसी न किसी रूप में शिक्षा ग्रहण करता रहता है अर्थात यदि यह कहा जाय कि मानव जीवन का मूल आधार ही शिक्षा है तो अतिशयोक्ति न होगा। सामान्य शिक्षा में जीवन का परिष्कृत कर उसे सामाजिक आवश्यकताओं के अनुरूप ढाला जाता है जिसके लिए विभिन्न तत्वों का प्रयोग किया जाता है। जैसे-जैसे विश्व की सभ्यताओं का विकास हुआ वैसे-वैसे ही शिक्षा से सम्बन्धित विभिन्न साधनों का आविष्कार हुआ शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य है व्यक्ति की सुप्त शक्तियों को जागृत कर उसे श्रेष्ठ बनाना शिक्षा द्वारा व्यक्ति का सामाजिक, बौद्धिक, शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक विकास होता है।
प्राचीन काल तथा आधुनिक काल में विद्यार्थियों की शिक्षा व्यवस्था का अवलोकन करने पर काफी अन्तर पाया जाता है। प्राचीन काल में शिक्षा आश्रमों में दी जाती थी परन्तु अब विद्यालयों का निर्माण हो चुका है। आज का युग मशीनी युग है जिसके कारण आज प्रत्येक कार्य मशीनों द्वारा सम्भव है। अतः मनुष्य को अधिक शारीरिक अम की आवश्यकता नहीं पड़ती। अपितु व्यक्ति की मानसिक शक्ति का बहुतायत में प्रयोग होता है। जिसके कारण मनुष्य की मांसपेशियां कम सक्रिय होती जा रही है।
आकर्षक बनने के लिए यह आवश्यक है कि व्यक्ति का शरीर सुन्दर व शुडौल हो। उसकी मानसिक शक्तियों के विकास के साथ-साथ उसका नैतिक व चारित्रिक विकास भी आवश्यक है। शिक्षा प्रणाली वही उत्तम कहलाती है जिसमें व्यक्ति के व्यक्तित्व का सन्तुलित व सर्वागीण विकास हो। वर्तमान शिक्षा प्रणाली में यह संतुलन प्रायः नहीं देखा जाता। आज की शिक्षा मुख्यतः पुस्तकीय ज्ञान पर ही आधारित है। वर्तमान में ऐसी शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता है।
जिससे बालक का सर्वांगीण विकास हो सके। इसमें मानसिक सामाजिक, शारीरिक, नैतिक, चारित्रिक तथा संवेगात्मक विकास की ओर पूर्ण ध्यान दिया जाना चाहिए। इसलिए यह आवश्यक है कि विद्यार्थी को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ शारीरिक शिक्षा का भी ज्ञान प्राप्त प्रदान किया जाना चाहिए। जिससे उसका सर्वागीण विकास सम्भव हो सके।
शारीरिक शिक्षा का अर्थ
वास्तव में शारीरिक शिक्षा (PHYSICAL EDUCATION ) शब्द दो अलग-अलग शब्दों से मिलकर बना है शारीरिक एवं शिक्षा शारीरिक शब्द का सीधा सा अर्थ 'शरीर सम्बन्धी' या 'शरीर की क्रियाएं या गतिविधियां है। इसका शरीर के किसी एक भाग से या सम्पूर्ण शरीर से सम्बन्ध हो सकता है। यह शरीर की संरचना, आकार, भाग उनके आपसी सम्बन्ध कार्य, एक दूसरे पर प्रभाव विकृतियां सुधार विशेषताओं के सम्बन्ध में हो सकती है।
जबकि शिक्षा एक व्यापक शब्द है। यह एक सीखने की प्रक्रिया का द्योतक है, जो जीवनपर्यन्त चलती रहती है और आस पड़ोस मैदान, विद्यालय, मंडली, गोष्ठी कहीं भी उपलब्ध हो सकती है। शिक्षा को अंग्रेजी भाषा में EDUCATION कहा जाता है। जो कि LATIN भाषा के तीन शब्दों EDUCATUM, EDUCERE तथा EDUCARE से हुई है। लैटिन भाषा में EDUCATION शब्द का अर्थ है शिक्षित करना (ACT OF TRAINING)। यह दो शब्दों से मिलकर बना है- इ (E) का अर्थ है 'अन्दर से तथा डूको (DUCO) को अर्थ है आगे बढ़ाना अथवा विकास करना अर्थात 'अन्दर से विकास अन्दर से विकास से तात्पर्य है कि प्रत्येक बालक के अन्दर जो जन्मजात प्रवृत्तियों होती है उनका विकास करना। इसी प्रकार (EDUCERE) एडूसीयर शब्द का अर्थ है 'विकसित करना' अथवा 'निकालना ( TO LEAD OUT ) तथा (EDUCERE) एडूकेयर शब्द का अर्थ है आगे बढ़ाना, बाहर निकालना अथवा 'विकसित करना' (TO BRING UPON TO RAISE) ।
इस प्रकार उपर्युक्त लैटिन के तीनों शब्दों के अनुसार शिक्षा का अर्थ है - बालक की आन्तरिक शक्तियों का पूर्ण विकास अतः शिक्षा एक विकासात्मक साधन या प्रक्रिया है यह जीवन में विकास को अग्रसारित करती है।
हिन्दी में शिक्षा शब्द संस्कृत भाषा के शिक्ष धातु से बना है, जिसका अर्थ होता है 'सिखाना या सीखना' (LEARNING OR TEACHING) । अतः शारीरिक शिक्षा का अर्थ वह शिक्षा जो शारीरिक कियाओं द्वारा प्रदान की जाए या सीखी जाए। इस सम्बन्ध में जे. पी. थामस की यह परिभाषा शारीरिक शिक्षा के अर्थ को काफी सीमा तक स्पष्ट करती है, शारीरिक शिक्षा वह शिक्षा है जो शरीर के द्वारा शरीर के लिए होती है।"
शारीरिक शिक्षा को यदि शरीर के द्वारा प्रदान की गयी शिक्षा कहा जाय जो अतिशयोक्ति नहीं होगी। शारीरिक शिक्षा को विभिन्न रूपों अर्थात कभी शारीरिक संस्कृति, कभी व्यायाम, कभी प्रशिक्षण आदि विभिन्न रूपों में परिभाषित व व्याख्यापित किया जाता रहा है। शारीरिक शिक्षा के अर्थ को पूर्ण रूप से जानने के लिए शारीरिक शिक्षा की परिभाषाओं का अध्ययन आवश्यक है जो इस प्रकार है
शारीरिक शिक्षा की परिभाषा -
शारीरिक शिक्षा की परिभाषा निम्नलिखित है
1- जे. एफ. विलियम्स के अनुसार
"शारीरिक शिक्षा मनुष्य की उन शारीरिक कियाओं को कहते हैं, जिनका चुनाव तथा प्रयोग उनके प्रभावों की दृष्टि के अनुसार किया जाता है।"
2- जे. बी. नैश के अनुसार
"शारीरिक शिक्षा सम्पूर्ण शिक्षा का एक नाग है,जिसका सम्बन्ध मांसपेशियों की क्रियाओं तथा उनके साथ सम्बन्धित अनुक्रियाओं से है।"
3- चार्ल्स ए. बुचर के अनुसार
"शारीरिक शिक्षा समस्त शिक्षा की प्रक्रिया का एक अटूट अंग है तथा उद्यम के क्षेत्र में इस प्रकार का उद्देश्य, शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक तथा सामाजिक रूप से सम्पूर्ण नागरिकों का इस प्रकार की कियाओं द्वारा विकास करना है, जिनका चुनाव उनके उद्देश्यों की पूर्ति को सम्मुख रख कर किया जाये.
4- एच. सी. बक के अनुसार
"शारीरिक शिक्षा शिक्षा के साधारण कार्यक्रम का एक भाग है जिसका सम्बन्ध शारीरिक कार्यक्रमों के द्वारा बच्चों की वृद्धि विकास तथा शिक्षा के साथ है। यह शारीरिक क्रियाओं द्वारा सम्पूर्ण बच्चे की शिक्षा है। • शारीरिक क्रियाएं साधन है तथा इन्हें इस प्रकार चुना और करवाया जाता है कि इसका प्रभाव बच्चे के जीवन के प्रत्येक पक्ष- शारीरिक, मानसिक, भवनात्मक, नैतिक पर पड़े।
5- डैल्बर्ट ओबरटिओफर के अनुसार
"शारीरिक शिक्षा उन अनुभवों का योग है जिनकी प्राप्ति व्यक्ति की गतियों द्वारा होता है।"
6- ए. आर. वेमैन के अनुसार
"शारीरिक शिक्षा शिक्षा का वह भाग है, जिसके द्वारा मनुष्य का शारीरिक क्रियाओं के द्वारा प्रशिक्षण के साथ-साथ पूर्ण विकास होता है।"
7- निक्सन तथा कोजिन के अनुसार
शारीरिक शिक्षा शिक्षा की पूर्ण क्रियाओं का वह भाग है, जिसका सम्बन्ध शक्तिशाली मांसपेशियों की कियाओं उनके साथ सम्बन्धित कियाओं तथा उनके द्वारा व्यक्ति में होने वाले परिवर्तनों से है।
B- आर. केसेडी के अनुसार
"शारीरिक शिक्षा मनुष्य के भीतर उन परिवर्तनों का समूह है जो गति भरे अनुभवों द्वारा होती है।"
10- शिक्षा मन्त्रालय द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार
'शारीरिक शिक्षा तथा मनोरंजन की राष्ट्रीय योजना के अनुसार शारीरिक शिक्षा एक ऐसी शिक्षा है जो बच्चे को सम्पूर्ण व्यक्तित्व के विकास हेतु कियाओं द्वारा शरीर, मन तथा आत्मा की पूर्णता की ओर बढ़ाती है।'
11- भारतीय शारीरिक शिक्षा तथा मनोरंजन का केन्द्रीय सलाहकार बोर्ड के अनुसार -
शारीरिक शिक्षा, शिक्षा ही है, यह वह शिक्षा है जो बच्चे के सम्पूर्ण व्यक्तित्व तथा उसकी शारीरिक प्रक्रियाओं द्वारा शरीर, मन एवं आत्मा के पूर्णरूपेण विकास हेतु दी जाती है।"
निष्कर्ष -
इन समस्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट है कि शारीरिक शिक्षा सामान्य शिक्षा का एक अनिवार्य तथा महत्वपूर्ण भाग है। शारीरिक शिक्षा केवल उछल-कूद अथवा व्यायाम तक ही सीमित नहीं है अपितु इसका उद्देश्य व्यक्ति का सम्पूर्ण विकास करना है। शारीरिक शिक्षा सुनियोजित एवं वैज्ञानिक सिद्धान्तों पर आधारित है।
सन्दर्भ
आदित्य प्रताप सिंह 'UGC NET/SET शारीरिक शिक्षा' रमेश पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली, 2012
ATWAL & KANSAL PRINCIPLES OF PHYSICAL EDUCATION AP PUBLISHERS, JALANDHAR
A.K.PANDAY 'PHYSICAL EDUCATION' UPKAR PRAKASAN AGRA अरुणा गुप्ता एवं उमा टण्डन 'उदीयमान भारतीय समाज में शिक्षक आलोक प्रकाशन, लखनऊ 2012
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